Corona Ka Keher
आदत डाल लो ऐसे जीने की
ये जिंदगी ना पर जंग सही
हम सोते रहे ये बढ़ती रही
हम रोते रहे ये बढ़ती रही
गाड़ी की आवाज़ से ज्यादा
अब एंबुलेंस की चीख सुनाई देती हैं
गलियों चौबारों से जीने की
भीख सुनाई देती हैं
बंद बाज़ार में अनदेखी की कहानियां
मशलुमो और गरीबों की तकलीफ़ सुनाई देती हैं
नेताजी ने किया तो वो रैली हो जाती हैं
जिंदगी जीने की शैली हो जाती हैं
हर नेता यहां नियम छोड़ रहा
देखो देखो गरीब शहर छोड़ रहा
हमे हुई तो कमरों में बंद हो जाते हैं
अनार सेब नेताजी रोज़ खूब खाते हैं
पुलिस की लाठिया भी तो सिर्फ़ गरीब को परती है
नव जात की मां भी भूखे पेट मरती है
मैं फिर कहता हूं आज मत रोना
इस बार हटा लॉकडॉन तो आपा मत खोना
मास्क पहने साबुन से हाथ धोना
वरना कसम से ना जायेगा कोरोना
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