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शायर ना हो जाऊं

 की एक बार फिर मैं कायर ना हो जाऊं की एक बार फिर मैं शायर ना हो जाऊं किसी को परवाह नहीं की तानो से आंसु आते हैं वो सब के सामने और हम छुपके आंसू बहाते हैं कभी कभी सोच का उल्ट सब होता है हम मधोश गीत गुनगुनेते हैं अजीब सी कहानी लिखता हूं भोर की लाली की तरह बिकता हुआ की इसी लिखाई में ना खो जाऊं की एक बार फिर मैं शायर ना हो जाऊं लिखने को लिख दूं लगता नहीं मन वैसा तो जिंदा हूं ओढ़ के कफन मुझे कब का मार चुकी दुनिया पर कैसे करेंगे मन को दफ़न काले धब्बो से भरा है तन्न तभी मुर्के ना देखूं दर्पण इस मन के बिस्तर पे ना सो जाऊं की एक बार फिर मैं शायर ना हो जाऊं चुपके से कुछ शाम की हवा कह जाती है शाम होते ही हवा ये भी जाती है मुझे नए ख़्वाब दिखाती है ये हवा भी लोरिया गाती है ये हवा कहानी सुनाती है खुशी का गवाह ये कहलाती है हवा कहती बीज हमदर्दो का बो जाऊं की एक बार फिर मैं शायर ना हो जाऊं की एक बार फिर मैं कायर ना हो जाऊं की एक बार फिर मैं शायर ना हो जाऊं

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